katyayani maa

Navratri: नवरात्रि के छठे दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा, जानिये पूजा विधि, मंत्र तथा आरती

Religion
Navratri 2021: नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनीस्वरूप की पूजा होती है। कात्यायनी मां को दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा गया है।

मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं और इनकी सवारी सिंह है।

पूजा विधि: भक्तों को सूर्योदय से पहले उठकर स्नानिद से निवृत होकर स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए। फिर लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां कात्यायनी की मूर्ति स्थापित करें। मां को रोली और सिंदूर का तिलक लगाएं। फिर मंत्रों का जाप करते हुए कात्यायनी देवी को फूल अर्पित करें और शहद का भोग लगाएं। घी का दीपक जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। बाद में दुर्गा चालीसा का पाठ कर, आरती करें। आखिर में प्रसाद सभी लोगों में बांट दें।

मंत्र
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

कात्यायनी माता की आरती:

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।

जय जगमाता, जग की महारानी।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।

वहां वरदाती नाम पुकारा।

कई नाम हैं, कई धाम हैं।

यह स्थान भी तो सुखधाम है।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।

कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।

हर जगह उत्सव होते रहते।

हर मंदिर में भक्त हैं कहते।

कात्यायनी रक्षक काया की।

ग्रंथि काटे मोह माया की।

झूठे मोह से छुड़ाने वाली।

अपना नाम जपाने वाली।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।

ध्यान कात्यायनी का धरियो।

हर संकट को दूर करेगी।

भंडारे भरपूर करेगी।

जो भी मां को भक्त पुकारे।

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।

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