Chaitra Navratri 2024: नवरात्रि के पहले दिन करें की पूजा, जानें व्रत कथा, पूजा विधि, पूजा मंत्र तथा आरती

Chaitra Navratri 2024: नवरात्रि के पहले दिन करें की पूजा, जानें व्रत कथा, पूजा विधि, पूजा मंत्र तथा आरती

Chaitra Navratri 2024: नवरात्रि के पहले दिन करें  की पूजा, जानें व्रत कथा, पूजा विधि, पूजा मंत्र तथा आरती

Chaitra Navratri 2024: आज से चैत्र नवरात्र 2024 आरंभ हो गए हैं। नवरात्र में माँ दुर्गा के नौ अलग अलग स्वरूपों की पूजा करने का विधान है। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है।

Maa Shailputri Puja Vidhi, मां शैलपुत्री पूजा विधि

माँ शैलपुत्री की पूजा में सफेद वस्त्र, सफेद फूल जरूर रखें। उनको सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं। माँ शैलपुत्री की पूजा करते समय उनके चरणों में गाय का घी अर्पित करना भी शुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मां शैलपुत्री सुख समृद्धि का वरदान देती हैं। पूजा के बाद मंत्र जाप और आरती जरूर करें।

Maa Shailputri Vrat Katha In Hindi: माता शैलपुत्री की पौराणिक कथा

माँ शैलपुत्री को माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार राजा दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ में उन्होंने सभी देवी देवताओं व राजा महाराजाओं को आमंत्रित किया, लेकिन भगवान शिव का औघड़ रूप होने के कारण उन्हें आमंत्रित नहीं किया। जब देवी सती को अपने पिता द्वारा आयोजित इस विशाल यज्ञ के बारे में पता चला तो उनका मन यज्ञ में शामिल होने के लिए व्याकुल होने लगा। उन्होंने भोलेनाथ से अपनी इच्छा जताई, भोलेनाथ ने कहा कि किसी कारण रुष्ट होकर राजा दक्ष ने हमें यज्ञ में शामिल होने का न्योता नहीं दिया है। इसलिए बिना आमंत्रण के यज्ञ में शामिल होना कदाचित उचित नहीं है।

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लेकिन देवी सती लगातार यज्ञ में शामिल होने के लिए भगवान शिव से कहती रही, माता सती के आग्रह पर भोलेनाथ ने उन्हें यज्ञ में शामिल होने की अनुमति दे दी। जब माता सती यज्ञ में पहुंची तो उन्होंने देखा के राजा दक्ष भगवान शिव के बारे में अपशब्द कह रहे थे। पति के इस अपमान को देख माता सती ने यज्ञ में कूदकर अपने प्रांण त्याग दिए। इसके बाद माता सती ने दूसरा जन्म शैलपुत्री के रूप में पर्वतराज हिमालय के घर लिया।

Maa Shailputri Arti Lyrics: माँ शैलपुत्री की आरती
मां शैलपुत्री की आरती, Maa Shailputri Aarti

शैलपुत्री माँ बैल पर सवार, करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।

पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि सिद्धि परवान करे तू। दये करे धनवान करे तू।

सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती जिसने तेरी उतारी।
उसकी सगरी आस जगा दो। सगरे दुख तकलीफ मिटा दो।

घी का सुंदर दीप जलाकर। गोला गरी का भोग लगा कर।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित शीश झुकाएं।

जय गिरिराज किशोरी। शिव मुख चंद चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।

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